life, motivation, personality development, safalta ke mool mantra, Society, solution of a problem

“मानवीय व्यवहार -नियंत्रण आवश्यक क्यों !”

नियंत्रित व्यवहार की आवश्यकता

आत्म संतुष्टि की दृष्टि से तो भावनात्मक होना एक सकारात्मक गुण है क्यूंकि यह सामाजिक आधार पर मान सम्मान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता परन्तु आर्थिक आधार पर संपन्न होने और पद प्रतिष्ठित और आर्थिक आधार पर संपन्न होने के लिए आवश्यक हे की एक नियंत्रित व्यवहार हो !

व्यक्ति तार्किक हो गया

विभिन्न कुशल ,संपन्न और पद प्रतिष्ठित
लोगों को देखकर अन्य लोगों के मन में कुंठा उत्पन्न होती है की सफल व्यक्ति कैसे सफल हो जाते हैं ?उनमें ऐसे क्या विशेष गुण होते हैं जिनके आधार पर वह अन्य की अपेक्षा आर्थिक आधार पर अधिक सफल और व्यवहार कुशल बन जाते हैं ?बस इन्हीं कुछ प्रश्नों की खोज मानवीय व्यवहार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से और मानवीय व्यवहार को अधिक वैज्ञानिक बनाने के उद्देश्य से वैज्ञानिक खोजे आरंभ हुईं कई सिद्धांत निर्मित हुए और इस आधार पर व्यक्ति का व्यवहार तार्किक हो गया !

तार्तिकता के सामाजिक आर्थिक प्रभाव

जहां देखो घर -परिवार कार्य व्यापार हर जगह तार्किकता नजर आने लगी जहां सफलता अर्जित हुई वहीं सामाजिक सम्बन्ध अस्त -व्यस्त हो गए क्यूंकि तर्क का एक वैज्ञानिक आधार है और यदि हम संबंधों में तर्क करेंगे तो संबंधों की घनिष्ठता समाप्त होना तो स्वाभाविक ही है !

और यही कारण है कि मन की अपेक्षा मस्तिष्क को अधिक महत्व दिया जाने लगा वह शायद इसलिए क्योंकि लक्ष्य को पाने में भावनाएं बाधक सिद्ध होती हैं इस प्रकार से एक नए मानव का जन्म हुआ जो मन की अपेक्षा मस्तिष्क का अधिक प्रयोग करता है प्रशिक्षणों का दौर आरंभ हुआ और मनुष्यों को मस्तिष्क के आधार पर तैयार किया जाने लगा जिससे आर्थिक विकास को बल मिला !

भावनात्मकता और तार्किकता के मध्य सीमा रेखा सुनिश्चित करें

परंतु कुछ सिद्धांतों को विकसित करने का अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति पूर्णतः मशीनी हो गया हो हमें सिद्धांतों का अनुसरण तो करना चाहिए परंतु यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि कभी- कभी ‘मस्तिष्क पर मन भारी पड़ जाता है ‘यही कारण है कि धन – दौलत ,ऐशो -आराम से ज्यादा व्यक्ति अपने घर -परिवार -मित्रों व अपने संबंधों को महत्व देता है व्यक्ति की भावनाएं उन रंगों के समान है जो व्यक्ति को अपने रंग में रंग लेती हैं जहां व्यक्ति इंद्रधनुषी रंगों में सुख की अनुभूति करता है !

तर्क भावनाकिसे अपनाया जाये ?

कभी-कभी ही सही परंतु कुछ एक व्यक्तियों के मन में व्यक्ति की तार्किक और भावात्मक छवि के मध्य द्वंद उत्पन्न हो होता ज़रूर है ,प्रश्न यह उठता है कि किसे अपनाया जाए और किसे नहीं ?यह कहना बहुत कठिन होगा क्योंकि दोनों का अपना महत्व है और दोनों ही महत्वपूर्ण है !

तर्कु व भावना दोनों के मध्य सामंजस्य आवश्यक

व्यक्तिक विकास तर्क व भावना दोनों के सामंजस्य पर भर करता है न वह अपनी सहज भावनाओं को छोड़ सकता है न बिश्वास को न ही तर्क को और न अनुभवों को अतः इन्हें छोड़ा नहीं जा सकता अपितु विभिन्न परिस्थितियों में इनकी मात्रा को कम ज्यादा अवश्य किया जा सकता है ,कार्य व्यापार में आपका तार्किक होना आपकी ‘आर्थिक सफलता’ को सुनिश्चित करता है और भावात्मक होना घर- परिवार -मित्रों -संबंधों अर्थात ‘सामाजिक सफलता’ को सुनिश्चित करता है ,व्यक्ति के मन को संतुष्टि दोनों के सामंजस्य से ही मिलती है अतः सम्मिलित रूप से दोनों को ही अपनाया जाना चाहिए !

वास्तविक सफलता सामंजस्य में है अतः सामंजस्यता के साथ आगे बढ़ते रहिए अगले ब्लॉग में फिर मुलाकात होगी ,तब तक के लिए हंसते -रहिए ,हंसाते -रहिए जीवन अनमोल है मुस्कुराते रहिए !

धन्यवाद
🙏🙏🙏

18 विचार ““मानवीय व्यवहार -नियंत्रण आवश्यक क्यों !”&rdquo पर;

टिप्पणी करे

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.