व्यक्ति परिस्थितिवश व्यवहार करता है
आस्था से परे संसार की समस्त वस्तुएं तर्क वितर्क से प्रमाणित व आप्रमाणित है विश्वास भी इससे अछूता नहीं है जो व्यक्ति को विशेष बनाता है ,यही कारण है कि कभी व्यक्ति किसी का विश्वास पात्र बन जाता है तो कभी विश्वासघाती तात्पर्य यह हुआ कि मनुष्य की अस्थाई भावनाएं उसे विचलित करती रहती हैं तत्पश्चात व्यक्ति परिस्थिति वश व्यवहार करता है !
विश्वास के बिना जीवन ही असंभव है
विश्वास एक वृहद शब्द है जिसे अर्जित करने में बरसो लग जाते हैं और टूटने में क्षण भी नहीं लगता !विश्वास घनिष्ठता का द्योतक है मित्र में विश्वास मित्रता को घनिष्ट बनाता है ,संबंधों में विश्वास संबंधों में घनिष्ठता लाता है विश्वास ही है जो जीवन में आगे ले जाता है !
विश्वास एक अटूट बंधन
विश्वास -स्वयं का स्वयं में विश्वास ,एक बच्चे का अपने माता पिता में विश्वास ,माता पिता का अपने बच्चों में विश्वास ,……….विश्वास का यह चक्र निरंतर चलता रहता है !तभी तो माता-पिता को बच्चे बुढ़ापे की लाठी नजर आते हैं और बाल्यावस्था में बच्चों को माता-पिता ही सारा संसार ,परस्पर ना दिखने वाली यह मजबूत डोर हर संबंध में हर स्तर पर देखी जा सकती है !
गलतियों से सीखकर आगे बढ़ें
व्यक्ति कमजोर पड़ सकता है क्योंकि वह एक मनुष्य है इसका तात्पर्य यह नहीं है कि उसे गलती करते रहना चाहिए इसका तात्पर्य यह है कि गलती से सीख लेकर ,आगे गलती ना करने के प्रण के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए !
विश्वास के दायरे को विस्तृत करैं
संसार में ईश्वर के अतिरिक्त कुछ भी स्थाई नहीं है इसलिए संबंधों को बचाना है तो मन की असंतुलित स्थिति को समझना होगा , परिथितियों के अनुकूल ढलना होगा ,संपूर्ण संसार को बदलने के स्थान पर स्वयं को अनुकूलित करना होगा ,विश्वास के दायरे को बढ़ाना होगा !
विश्वास और अविश्वास के मध्य अंतर
परंतु विश्वास और अविश्वास के मध्य की महीन रेखा के अंतर को भी समझना होगा संबंधों की मिठास विश्वास में है !संबंधों में अविश्वास उस विष के समान है जिसकी एक बूंद भी समस्त संबंधों को नष्ट करने के लिए पर्याप्त है !
सकारात्मक विश्वास
अतः संबंधों में अविश्वास के साथ हीआस्था को भी सम्मिलित न होने दें क्योंकि आस्था ईश्वर में विश्वास का विषय है और इसे ईश्वर तक ही सीमित रहने दे !व्यक्ति में आस्था का अर्थ होगा अंधविश्वास ,इसका यह तात्पर्य भी नहीं कि संबंधों में संदेह किया जाए क्योंकि संदेश संबंधों को निगल जाता है सफल संबंधों की बुनियाद ही विश्वास है विश्वास अपने सकारात्मक रूप में तटस्थतापूर्ण विश्वास ! व्यक्ति पूर्णता विश्वसनीय है आवश्यकता केवल परिस्थिति विशेष में समझने की है !
संबंधों में विश्वास बनाए lरखिए ,अगले ब्लॉग में फिर मुलाकात होगी तब तक के लिए हंसते – रहिए ,हंसाते -रहिए ,जीवन अनमोल है ! मुस्कुराते रहिए !
धन्यवाद
🙏🙏🙏
Reblogged this on Cooperation and peace.
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Very good writing very intelligent
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Thank you so much for visiting and your wonderful response towards my post ,T…..😊😊😊
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interesting post
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Thank you for reading ……🙏🙏
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Good ones.
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thank you so much ……😊
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Nice thoughts.
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Thank you so much .
🙏🙏🙏
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विश्वास का बेहतर तरीक़े से समझाए किए हैं।
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धन्यवाद, पदमजा जी !
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किए गलत से छप गई। 🤔
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कोई समस्या नहीं है 🖱🖱
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nice share…
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Thank you very much !
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Thanks for sharing
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Thank you Denise!
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Good
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Thank you Denise ….!
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