विश्वास का अर्थ है परस्पर समझ जो संचार द्वारा ही संभव है
विश्वास का अर्थ है परस्पर समझ और यह समझ परस्पर संचार से विकसित होती है !यदि कुशल संचार की तुलना एक कुशल मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ से की जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी , जिस प्रकार मनोचिकित्सक रोगी के मनोविज्ञान को भली-भांति जान जाता है ठीक उसी प्रकार एक प्रबंधक अधीनस्थ की मनोदशा को जानकर सामंजस्य बैठता है संगठन व कर्मचारी के उद्देश्यों में एकीकरण स्थापित कर दोनों को एक -दूसरे के लिए उपयोगी बनाता है !वह उसे विश्वास दिलाता है की संगठन के हित में ही उसका हित है इस प्रकार वह विश्वास के माध्यम से दोनों के हितों को जोड़ देता है ! इस प्रकार संचार दो मस्तिष्कों के मध्य साझा समझ स्थापित करने वाला कारक है !
विकास विचारों के आदान -प्रदान द्वारा ही संभव है
संचार एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में किया जाता है संचार दो मस्तिष्कों को बांधने वाला पूल है !जो बंधता है परस्पर विश्वास से ,परस्पर हितों से और परस्पर विचारों के आदान-प्रदान से ,कई बार परिस्थितियां भी इस सामंजस्य के लिए उत्तरदायी होती हैं !उचित समय पर उचित संचार से उचित निर्णयों को बढ़ावा मिलता है जिससे विकास का मार्ग प्रशस्त होता है !
संचार सहयोग प्राप्त करने का माध्यम है
परस्पर विश्वास से दो व्यक्तियों के मध्य संचार को बढ़ावा मिलता है और संचार के माध्यम से अन्य व्यक्ति की प्रेरणा को समझ कर उसे विभिन्न प्रोत्साहनओ के द्वारा अभीप्रेरित कर परस्पर उद्देश्यों में उसका सहयोग प्राप्त किया जा सकता है !अभी -करना प्रेरणाओं के माध्यम से व्यक्ति का सहयोग प्राप्त करना सरल है यदि सहयोग प्राप्त करता और सहयोग प्रदान करता का लक्ष्य समान हो तो ऐसे में व्यक्ति का सहयोग प्राप्त और भी सरल हो जाता है !
प्रश्न का अर्थ संदेह नहीं अपितु संबंधों में निकटता लाना है
पिछले पोस्ट में हम इस विषय पर चर्चा कर रहे थे कि प्रश्न पूछने का अर्थ होता है संदेह करना परंतु आज के समय में इसका अर्थ पूर्णता परिवर्तित हो चुका है ,प्रश्न का अर्थ संदेह होना यह प्रश्न की प्राचीन परिभाषा हुआ करती थी वर्तमान युग में प्रश्न का अर्थ पूर्णता परिवर्तित हो चुका है वर्तमान युग में प्रश्न से तात्पर्य है संबंधों में निकटता लाना !वर्तमान में प्रश्न इस सिद्धांत पर आधारित है कि अधिकतर संबंध प्रभावी संचार के अभाव में ही दम तोड़ देते हैं एक दूसरे पर अविश्वास का प्रमुख कारण ही अकुशल संचार है ! इस विषय पर हम पहले भी चर्चा करचुके हैं की संचार दो मस्तिष्कों को जोड़ने वाला पूल है और दो लोगों के मध्य ये विश्वास का पूल तभी बंध सकता है जब मन और मस्तिष्क एक हो जायें अर्थ यह हुआ की कथनी और करनी में अंतर से व्यक्ति संदेह के दायरे में आ जाता है !
मन और मस्तिष्क का चोली -दामन का साथ है
संदेह का निराकरण मन और मस्तिष्क के एकीकरण द्वारा ही संभव है क्योंकि मन व मस्तिष्क का साथ ‘चोली -दामन ‘का साथ है क्योंकि मन के चाहे बिना मस्तिष्क सोच नहीं सकता और मस्तिष्क के सोचे बिना मन आगे नहीं बढ़ सकता अतः जब व्यक्ति का मन व मस्तिष्क एक हो जाता है तो व्यक्ति संदेह रहित हो जाता है और ऐसा प्रायः कुशल संचार द्वारा ही संभव है !
बहुत बढ़िया ,अत्यन्त प्रशंसनीय
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धन्यवाद !!!😊😊😊
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पढ़ाई में आपने क्या किया है? शब्दो का प्रयोग लाजबाब
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प्राणी शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि MSc !!!
थोड़ा -बहुत लोक् प्रशासन का ज्ञान हे !!!
धन्यवाद …..🙏🙏
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वही तो प्रभाव है शब्दों का और ये हिंदी काफी अच्छी है।
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धन्यवाद !!!🙏🙏🙏
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अच्छा तो है लेकिन मेरा लोभ अभी तक गया नहीं है?
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लोभ , कैसा लोभ ???
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वही बात करने का? क्योंकि आपका दायरा शब्दों से उच्चता को दर्शाता है । और कोई भी अच्छा तो चाहता है
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धन्यवाद ….मेने सदैव आपके प्रश्न का उत्तर दिया है !
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मुझे उहापोह रहता है ?अच्छा,सच्चा सब कहते है लेकिन पसंद कुछ और करते है समस्या यह भी जस्टिफाई कैसे और कौन करे। फिर भी कब कहा कैसे ? की अंतहीन यात्रा🚶
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उहापोह किस बात का ?अच्छाई और सच्चाई किसी और की नज़र से नहीं स्वयं के दरदष्टिकोड से हो तभी महत्वपूर्ण होती है !स्वयं से बेहतर जस्टिफाई कोई और नई कर सकता !
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परिणाम और स्वयं को अंक स्वयं से कैसे दे सकती है सामान्य जीवन भी दो लोगों के मिलन का नाम है
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शुभचिंतक , सच्चे मित्र , पारिवारीक सहयोग और आत्म विश्लेषण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है !!
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जो अच्छे है वे बचते है या उन्हें कुछ और पसंद है । यहाँ विवाद और अंहकारी ही घूम घूम के मिलते है।
“मैं और मेरा तोर तो माया”
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आपभी बचने वालों में से एक है ऐसा शायद कहा जा सकता है।
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आप कुछ भी सोचने के लिए स्वतंत्र हैं !!
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बताइये फिर?
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आपका प्रश्न मेरी समझ से परे है !!
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अपने आस -पास ढूंढने का प्रयास कीजिए संसार में सच्चे मित्रों की कमी नहीं है!!
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भारत में मार्ग बताना बहुत आसान है।
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मन को एक कुछ कम सा लगता है एक कोई बुद्धि प्रधान का साथ हो जिससे न विचार की वृद्धि ,संवाद से गहराई और अधिक समझने के दृष्टिकोण में विस्तार हो।
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हर बुद्धिमान व्यक्ति यही चाहता हे इसमें बुरा क्या है ?
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लेकिन समस्या नजरिया बन जाता है कौन कब क्या सोच ले। कबीर बाबा कहते है
ज्ञानी से ज्ञानी मिले हो रस की लूटम लूट।
ज्ञानी से अज्ञानी मिले होय माथा कूट।।
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2% विचारक ,अच्छे समझदार पढ़ाकू और प्रवर्तक , वही 6% नकारात्मक और बुरे लोग
जिनके बीच द्वंद और संघर्ष चलता है बाकी
92% तो इंतजार करते है जिसका पलड़ा भारी उधर खड़े हो ले गे
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सही अर्थों में तो शुभचिंतक वही है जो सत्य को सत्य और असत्य को असत्य कहने की क्षमता रखता हो !!
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आज चरित्र ही कमजोर हो गया । एक फोटो डाल के ट्विटर पर पूछती है कैसी लग रही हो
फिर क्या बताने वाले पुरुषों की बाढ़ लग जाती है उम्र भी नहीं देख पाते है। तो विचार बताने वाले शुभचिंतक कहा मिल पायेगे😥😥😥
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यधपि चित्र पर हर किसी की टिप्पणी से प्रसन्न हों अनुग्हीत है तथापि यह भी सत्य है की विचार आयु के मोहताज नहीं होते !
वैचारिक परिपक्वता महत्वपूणा होती है न की आयु !
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लेकिन आयु सुंदरता बताने के लिये नहीं है जो पोती की तरह है सोसल मीडिया भी उद्देश्य भटक जा रहा है।
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मैंने यही ऐड किया था कि सोशल मीडिया पर अपने फोटोग्राफ्स शेयर करके दूसरों की टिप्पणियां प्राप्त कर कर प्रसन्न होना पूर्णता अनुचित है! परंतु त्रुटि वश ….
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फिर प्रश्न है यदि ऐसा है कई पुरुष भी टिप्पणियों प्राप्त कर प्रसन्न होना चाहते है पुरुष देने से रहा पुरुष को नारी को अपने से फुरसत नहीं ,फोटो लगाने वाला पंख कटे पक्षी की तरह हो जाता मायूस😑😑
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ये सब जूठा दिखावा और जूठे दम्भ ,अर्थहीनता के कारन है !!
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यही तो मैं पहले कहा , गलत चलन ,चलनी को प्रभावित करने के साथ मस्तिष्क पर चोट करेगा
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That is very simple “सहेली” का बनना
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जिस प्रकार सच्चे मित्रों की कमी नहीं है उसी प्रकार सच्चे शुभ चिंतकों की भी की नहीं है !
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ये दोनों का अभाव कम से कम हमें हमेशा रहा है।
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आप भी तो कहती हो मैं नहीं बन सकती?
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क्या नहीं बन सकती ?
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सहेली??
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भारत में पहले लोग एक दूसरे के सहयोग से छप्पर ऊपर उठाते थे। हर व्यक्ति भार से बचता था फिर भी भार उठाता था।
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अपने आसपास भार उठाने वाले बहुत मिल जाते हैं अपने आसपास तलाश कीजिये !
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आप ने सही अर्थो में नहीं लिया
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????
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भार उठाने को ??
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देखिए व्यक्ति जीवन ही परस्पर सहयोग से चलता है,यहां सभी के मध्य ब्लॉगिंग के माध्यम से एक रिश्ता एक संबंध विकसित हो गया है जहां सभी एक दूसरे के मित्र और शुभचिंतक हैं !इतना बड़ा प्लेटफॉर्म सहायता के लिए उपलब्ध है!!
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लाखों लाख से सम्बन्ध नहीं होता जुड़ाव वाला तो एक या दो से होता है
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वह कौन है जो दुःखी न करें ???
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रिश्ता शारीरिक , मानसिक ,वाचिक ही क्या माना जाता है आध्यात्मिक भी हो सकता है जिसमें लालच न हो मिलने,पाने का।
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सत्य !!
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कभी भी उस सीढ़ी को क्यों छोड़ नहीं पाते जिससे चढ़े है
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?????
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जो हम स्वयं के लिए बना लेते है कि मैं ऐसा ही हू
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आप दायरा , सीमा रेखा ,मर्यादा की बात कर रहे हैं शायद ?
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मैं किसी बंधन को नहीं मानता हूं । बस किसी के दिल को भी नहीं दुखाना चाहता
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डिजिटल के जमाने मे सब वर्चुअल कर दे लोग
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फिर आप रियल तलाश क्यों कर रहे हैं ?
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हम मानव पुराने वाले जिसमें सांस्कृतिक मूल्य
मानवीय गरिमा ,अन्य प्राणियों के लिए प्रेम दूसरों के स्थान रिक्त है क्योंकि मैं अकेला नहीं है और भी लोग है
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जीवन न सांप सीढ़ी है न शतरंजी चाल ,वह बहुत सहज और माधुर्य लिए है जहाँ प्रेम ही प्रेम है ,फिर न जाने कैसे यह शैतानियत सीख जाते है।
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क्योंकि सीधे व सरल लोगों को मूर्ख समझने वालों की कमी नहीं है!!
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आपभी मूर्ख समझ रही है???😑😑
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जी नहीं , मैं सरल स्वभाव के लोगों के विषय में बात कर रही थी !
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सहजय सो दूध सम मांगा मिला सो पानी
कह कबीर रक्त जिहमा आईचा तानी
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प्रेम कपट होगया ,अहंकार सबकुछ
स्वयं का डंका पीटते है दीवाल इतनी लंबी उठाये है कि कुछ दिखना नहीं चाहिए। स्वाभाविकता,कोमलता सब गुम हो गई
लगता है किसी चीज की तलाश है जीवन
बीता जा रहा है ,वह चीज क्या है समझ न आई। जिसे समझना चाहता हो डोर तोड़ के उड़ा देती है।
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देखा आपने ,आपकी वजह से कितने शब्द निकल आये। आप कुछ भी कहे लेकिन ये नये ही है
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यह तो संचार की एक सामान्य विशेषता है,यह कमाल विचारों के आदान-प्रदान का है ना कि मेरा
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आप का ही कमाल है जी हीरा तो इधर उधर बिखरा मिल सकता है लेकिन जब जौहरी की संगत करता है तो ही रंगत में आता है। हीरा मुख से न बोले बड़ा है मेरा मोल
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मोहे कपट छल छिद्र न भावा😢
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कोई स्थान शेष नहीं है मेरे लिए😌
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???
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मन में उमंग में तरंग में आत्मा में हुतात्मा में हवाओं में जो पास चलती है
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हुतात्मा means?
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आप बताओ ? इतनी दक्ष तो है ही
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पवित्र आत्म कार्य
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प्रश्न अभी शेष? क्या स्थान शेष है😐
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शुभचिंतक !!
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शुभचिंतक बोले तो??
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शुभचिंतक अर्थात झूठी प्रशंसा ना कर विश्लेषणात्मक आधार पर पोस्ट पर चर्चा यथार्थता के आधार पर करने का प्रयास करुँगी और यही same उम्मीद आपसे भी करुँगी !धन्यवाद !!
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टाइम बहुत लेता है msg आने ,माध्यम और भी पर आपने सब तो रोक दिए ? दायरा,सीमा,मर्यादा का स्मरण करा के
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बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
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धन्यवाद 🙏🙏🙏
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good one
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Thank you !
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Waah 💕💕💕
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Shukriya Sidra 💕💕💕
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Fantastic …usage of words 💕💕💕😇
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Thank you Sidra for appreciation………… 😊😊🙏
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