अहम् एक मानसिक विकार
उचित -अनुचित का भी एक अजीब खेल है जिसे देखो बस वह सही और हर दूसरा व्यक्ति गलत है !ऐसा क्या है जो प्रत्येक व्यक्ति को केवल उसके सही होने के लिए विवश कर देता है ? और अन्य व्यक्ति के सत्य को बाधित कर देता है !वास्तदव में यह कुछ और नहीं व्यक्ति का संकुचित दृष्टिकोण मात्र है !जहां किसी अन्य के सत्य के लिए कोई स्थान नहीं है ” मैं ही सत्य ज्ञानी हूँ ,सत्य भी मैं बोलता हूं और केवल में ही हूं जो सत्य सुनना भी पसंद करता हूँ !”क्या आपने कभी सोचा है सत्य का यह दंभ क्यों और किस लिए ?
दोषपूर्ण दृष्टिकोण सत्य अथवा छदम
वास्तव में यह सच व झूठ की समस्या नहीं ये एक “मानसिक विकार ” है एक ऐसा मानसिक विकार जिसमे व्यक्ति स्वयं को सर्वोच्च, सर्वोपरि , सर्व्गुढ़ संपन्न मान लेता है और इसे इसकी बुद्धि और सर्वोपरिता के आगे सब तुच्छ नज़र आने लगते हैं !क्या कोई परिभाषा है सर्व्गुढ़ संपन्न होने की ? या केवल अपना दृष्टिकोण ही पर्याप्त है यदि व्यक्ति सोचता है की वह परम ज्ञानी ,परम अनुभवी ,सर्वगुण संपन्न …………………आदि है तो क्या वास्तव में ये सत्य है या छदम दम्भ मात्र ?
कहीं आप भी इनमे से एक तो नहीं
“वास्तव में तो ऐसे लोग बुद्धिमान नहीं अपितु बुद्धिमत्ता का चोला ओढ़े महामुर्ख होते हैं !”आप कौन होते हैं उचित- अनुचित का निर्णय करने वाले ?दूसरे की समझ का न समझी से आंकलन करने वाले !सामान्यतः व्यक्ति भिन्न परिस्थितियों में वास करते है इसलिए उचित अनुचित की परिभाषा भी भिन्न -भिन्न व्यक्तियों के लिए भिन्न -भिन्न होती है यदि सर्व सामान्य सत्यों को छोड़ दिया जाये तो एक के लिए उचित किसी दुसरे के लिए अनुचित हो सकता है और जो दुसरे के लिए अनुचित हो वह अन्य के लिए उचित हो सकती है !
दूसरों को मुर्ख समझने वाला वास्तव में मुर्ख होता है
स्वयं को महाज्ञानी ,महापंडित समझना आपका आपमें विश्वास को दर्शाता है और दुसरे को अज्ञानी या मुर्ख समझना दुसरे में अविश्वास को !स्वयं में विश्वास सर्वोत्तम है दुसरे में विश्वास भी उत्तम है व्यक्ति में विश्वास व्यक्ति के सम्मान को दर्शाता है !
व्यक्ति में अविश्वास अर्थात आत्मसम्मान पर आघात
जिस प्रकार आप अपने आत्म सम्मान की रक्षा के लिए उत्तरदायी हैं ठीक उसी प्रकारर अन्य भी जब आप अन्य व्यक्ति में अविश्वास दर्शाते हैं तो व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है याद रखिये व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु शारीरिक चोट देने वाला नहीं अपितु मानसिक आघात देने वाला होता है !
व्यक्ति का आंकलन उसकी एक भूल के आधार पर मत कीजिये
यदि आप पंडित हैं !तो हो सकता है अन्य व्यक्ति महापंडित हो ? केवल बखान से ही कोई महापंडित नहीं बन जाता !भूल -चूक तो सृष्टि का नियम है !भूल चूक के कारण ही तो व्यक्ति व्यक्ति है !व्यक्ति यदि गलती ना करता तो व्यक्ति नहीं रहता फरिश्ता बन जाता !किसी की भूल सामने आ जाती है और किसी की छुपी रह जाती है परन्तु एक भूल का अर्थ ये नहीं की व्यक्ति के अस्तित्व को ही नकार दिया जाये !कोई न कोई कमी सब में होती है परन्तु एक कमी का अर्थ यह नहीं की व्यक्ति की सारी अच्छाइयों को नकार दिया जाये !
लोगों की बुराइयों को भूलकर अच्छाइयों को याद रख आगे बढ़ते रहिये अगले ब्लॉग में फिर मुलाक़ात होगी तब तक हँसते रहिये -हँसाते रहिये जीवन अनमोल है मुस्कुराते रहिये !
धन्यवाद
🙏🙏🙏
nice post…good share
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Thank you so much for visiting and reading my post !!!😊😊😊!!!
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✍️🙁👍
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🤗🤗🤗🙏🙏🙏🤗🤗🤗
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🙏🙂🙏
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Keep on smilin’ …
keep on smilin’
and the whole world
will smile with you!
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Thank you for your wonderful suggestion and wishes !😊😊
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जितने लोग उतने विचार।सबके अपने अपने विचार होते हैं।सभी ज्ञानी हैं।कोई धर्म,कोई रसायन,कोई राजनीत तो कोई अर्थ का ज्ञानी है।ज्ञान का अंत नही। कोई भी ज्ञान पूर्ण नहीं।जैसे हम भी पूर्ण नहीं हैं।
मगर अधिकतर लोग अपने विचार दूसरों पर थोपते नजर आते हैं।शायद ऊपरवाले ने सीधे उनको महाज्ञानी बनाकर भेजा है।
महाज्ञानी,
महाबलशाली,
महा वैभवशाली को दुनियाँ मिटते देखा है।
मगर यहाँ रह जाता है शेष
ज्ञान,
धन
और बल जिसे अगला पीढ़ी जितना ग्रहण करता है उतना फिर उसे विस्तार करता है।
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जी बिलकुल कुछ लोग सोचते हैं की केवल वही पूर्ण हैं उनका ज्ञान सर्वोपरि है ,उनके विचार सर्वोपरि हैं इसलिए मनो निर्णय लेने का अधिकार केवल उन्ही का होना चाहिए !लोग विरासत में ज्ञान ,धन ,बल पाते हैं यह एक सर्वमान्य सत्य है जिसे नाकारा नहीं जा सकता !यधपि यह सत्य है की आगामी पीढ़ी के लिए सब चिंतित होते हैं और विरासत स्वरुप व्यक्ति को सौंप देना चाहते हैं !विरासत में व्यक्ति पता है परन्तु उसे बनाये रखना और पीढ़ी दर पीढ़ी तक उसे पहुंचना यह बहुत हद तक व्यक्ति की बुद्धि , कूटनीति और नैतिक मूल्यों पर निर्भर करता है यदि आगामी पीढ़ी में उनके पूर्वजों के प्रति सम्मान का भाव जागृत कर दिया जाये तो वह इसे अधिक सहजता से स्वीकार कर लेंगे !
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Awesome… Keep it up. 🙂
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Thank you do much 😊😊😊
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Sahi kha ! Gyan ki seema agyan nahi balki gyan ka ahankar hai !
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बिलकुल !ज्ञान की सीमा व्यक्ति को जिज्ञासु बनती हे जबकि अज्ञानता व्यक्ति के ज्ञान को बाधित करती है !
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यही तो अंदर अंदर बढ़ता जा रहा है मन बार बार कहता है जो बच्चा रोता है वही दूध पाता है फिक्र अपनी कुछ ज्यादा होती जा रही है😑
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मैं समझी नहीं ?
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आसान है जी आप इतनी बुद्धिमती हो थोड़ा जोर दीजिये
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अगर समझ आता , तो ज़रूर बताती !
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आपकीं बातों को कम शब्दों में कह दिया है राहत जी
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ओह जो बच्चा रोटा है वो ज़्यादा दूध पता है !मतलब जो शोर मचाता है की वह महाज्ञानी है तो वो महाज्ञानी बन जाता है
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आज ज्ञान का दिखावा,प्रदर्शन करते है जबकि वह ज्ञानी नहीं होते है।
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बिलकुल !ऐसे लोगों के विषय में तो खाली में आडम्बर ज़्यादा वाली कहावत चरितार्थ होती है !
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वैसे भी आपने मुझे इरेज कर दिया है
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इरेज़ कर दिया है मतलब ?
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मिटा देना,या साफ कर देना
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??????
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भूल जाना , कोष्टीकरण करना
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देखिये यहां हम सब एक दुसरे से पोस्ट के माध्यम से जुड़े हैं ! पोस्ट पढ़ते है उसे like या उस पर कमेंट करते हैं तो ????
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विशेषीकरण,निषेधिकरण,कोष्टीकरण मतलब उसे अलग ही कर देना☹️
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जी नहीं अगर मुझे आपकी पोस्ट पसंद आयी होगी तो मेने like ज़रूर की होगी आप अपनी पोस्ट पर जाकर देख सकते हैं !
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Sorry मैंने गलती की😪😪😪
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गलती कैसी गलती ?
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थोड़ा ज्यादा समझने की
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कोई बात नहीं !
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अब से कमेंट नहीं जायेगा
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मतलब ??
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इतनी कम तो समझदार नहीं है आप
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आप अपना वाकया चेक कीजिये उससे क्या अर्थ निकलता है !आपका वाक्य था की अब से comment नहीं जायेगा !
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ठीक है जी नहीं जायेगा । इत्मीनान रखिये
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अब इसका क्या अर्थ हुआ ?
क्या नहीं जायेगा ?
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Msg…😢
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मैं कुछ समझ नहीं सकी !आगे जैसी आपकी इच्छा !
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क्योंकि आपको अच्छा नहीं लगता है।
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आपने कभी भी बात करने का प्रयास नहीं किया।बस यही के यही तक और कमेंट तक ही
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We all are just like a family which is called bloggers family .
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Hehehe😃🤣
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दिल को बदलने का ख्याल अच्छा है ग़ालिब🌻
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Yes, only humility is the key to long lasting success.Anybody can be successful by hook or crook but that is transitory /temporary. True success is impossible without humility.Thank you for sharing.
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I am very thankful to you for your humble response towards my post .
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You really deserve it,most welcome
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My pleasure !!!🙏🙏🙏!!!
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🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
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मेरा अहंकार ही मेरा बोझ है। The faster we realise this truth, better we shall be. Thank you for the wonderful post.
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Bilkul shahi kaha aapne!
Yes, nothing real in it, it is the “state of mind ” Only. I am very grateful to your response.
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Mujhe aap ke post ka title bahut pasand aaya! I just loved it,Rahat!
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आपकी अभिप्रेरणा के लिए धन्यवाद रवि सिंह जी !!!😊!!!
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My Pleasure!
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🙏🙏🙏
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good
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Thank you Denise for reading my post 😊
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It all depends on cultures when it refers to the transmission of knowledge. Some respect the hierarchy and in the west they are acquired by their own decision. There are no equal people, much less perfect. We all make mistakes but we have to leave a productive legacy to the next generation. That will depend on the intelligence of each one. It is an article of great interest although it struggles with translation. Happy Sunday.
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Yes ,you are absolubtly correct . There is no thing without worth in the world .Thanks for your interest towards my post and double thanks to read it with it’s translated forms and same to you 😊
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