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“तुमने सोचा है कभी क्या ?”

ज़िन्दगी एक कभी न रुकने वाला सफर है ………!

कर ताना बाना -कोई ,बहाना न बना !

हार और जीत -दो पहलू !

न ठहर , एक जगह -एक, ठिकाना न बना !

चल ,परिंदों सा – उड़ चल !!

जो न ठहरे -वो हवा !!

जो ,बरसे तो बादल -और, ठहरे तो मक़ा !!

ज़िंदगी है -कोई सौगात !!!

इत्तेफ़ाक़ नहीं -न ठहरो !!!

कब मिल जाये -सौगात ,किसे क्या !!!

सब है मुमकिन iv

सब सोचों से बदल जाता है iv

ज़िन्दगी है हकीकत – तुमने ,सोचा है कभी क्या iv

20 विचार ““तुमने सोचा है कभी क्या ?”&rdquo पर;

  1. बहुत बढ़िया। खूबसूरत रचना।👌👌

    परिवर्तन संसार का नियम है,
    जीवन भी अछूता नही,
    गम में घिरे हैं सभी,
    खुशियाँ उनके पास ही है,
    कभी खुद से पूछा नही।

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    1. धन्यवाद मधुसूदन जी 😊
      बिलकुल ख़ुशी उस कस्तूरी की तरह होती है मृग जिसकी सुगंध से लालायित होकर उसे ढूंढने के लिए जीवन भर भटकता रहता है !

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