सोशल ईविल, kavita, life, personality development, shayree, Society, Uncategorized

"वक़्त की तलाश में …..!"

कयामत ,की रात -थी वो !
जब ,उसका – ज़वाल देखा !!
हर एक – शख्स के !!!
लब पे – सवाल देखा !!!!

मुकद्दर , किसी का – यूं !
बिगड़े न – इस तरह !!
अपनों की – थी महफिल !!!
गैरों सा – हाल देखा !!!!

वाबस्ता – जो , नहीं थे !
थे वो भी – वक्त की तलाश में !!
रखते थे – वह ,भी क्या !!!
दिल में – ख्याल ,देखा !!!!

दिल शिकनी – करके भी था !
खुद पर – जिन्हें गुरूर !!
इनायत – का उनकी !!!
क्या-क्या गुमान देखा !!!!

दिल से – निभाए जो !
बस ,शिद्दत – उसी में है !!
नाम के – रिश्तों का !!!
तो बस – कतले आम देखा !!!!

दुनिया है ये – इससे कोई !
तवकको – न कीजिए !!
गुलशन -उजाड़ कर भी !!!!
न ,इसको – मलाल देखा iv

22 विचार “"वक़्त की तलाश में …..!"&rdquo पर;

  1. अपनों की थी महफ़िल !गैरों सा हाल देखा !!
    कयामत ,की रात -थी वो !जब ,उसका ज़वाल देखा !!
    हर एक शख्स के लब पे सवाल देखा,
    कितना शिद्दत से चाहा था वो
    कैसे हैं अपने ये कैसा संसार देखा।

    कितनी खूबसूरत कविता। मगर सोचनीय।

    पसंद करें

टिप्पणी करे

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.