personality development

“क्या भूत का पछतावा और भविष्य की चिंता वर्तमान से अधिक महत्वपूर्ण है ?”

हम अपने पिछले ब्लॉग “अशांत मन की पीड़ा -उत्तरदायी कौन ?” में बात कर रहे थे चिंता के विषय में जहां हमने चिंता के कुछ आधारभूत बिंदुओं पंर चर्चा की थी आज हम अपनी इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए चिंता के कुछ ऐसे कारणों पर चर्चा करेंगे जो वास्तव में चिंता का विषय ही नहीं है !

तनावकेपरंपरागतकारणConventional causes of anxiety

भूतकाल में किये गए कार्यों का पछतावा (Repentance for the work done in the past)

चिंता या तो हमारे पूर्व में किए गए कार्यों के कारण पछतावे के तौर पर होती है या भविष्य में किसी स्वप्न के पूरा होने या ना होने के द्वंद को लेकर होती है अर्थ यह हुआ कि वर्तमान से इसका संबंध थोड़ा कम ही होता है !

वर्तमान चिंता का विषय कम है (The current concern is low)

मैंने ये नहीं कहा कि वर्तमान में बिल्कुल चिंता नहीं होती यहां मेरा अर्थ यह था कि भूत और भविष्य की तुलना में वर्तमान की चिंता कुछ कम होती है !

क्योंकि वर्तमान में कोई व्यक्ति समस्त सुख- सुविधाओं का उपभोग कर रहा होता है और यदि वह सुख सुविधाओं से वंचित भी होता है तो उसे भविष्य में उन सुख सुविधाओं को पाने की उम्मीद रहती है इसलिए मेरे विचार से वर्तमान चिंता का विषय कम ही होता है !

भविष्य की चिंता (Future concern)

व्यक्ति को आज की अपेक्षा कल की चिंता अधिक सताती ह वर्तमान में भी व्यक्ति भविष्य में मान -सम्मान ,आर्थिक, सामाजिक ,राजनीतिक स्थिति पद ,-प्रतिष्ठा आदि इसी प्रकार रहने वाला है या नहीं व्यक्ति इस बात से चिंतित रहता है और लगातार अपनी स्थिति को बनाए रखने का प्रयास करता रहता है !

सुख सुविधाओं से वंचित व्यक्ति कई सपने संजोता है क्षण भर को ही सही परंतु उसके मन में विचार अवश्य आते है कि वह जो स्वप्न संजो रहा है वह पूरे भी होगे या नहीं कभी मेरे भी अच्छे दिन आएंगे या नहीं क्योंकि उसके लिए उसके अच्छे दिन तो तभी आएंगे जब उसकी इच्छा पूरी होगी !

चिंताओं का चक्र (Cycle of concerns)

भूत भविष्य व वर्तमान का भंवर , इच्छाओं का यह सिलसिला लगातार चलता रहता है और इन्हीं के साथ चलता है चिंताओं का चक्र व्यक्ति एक भंवर में फंस जाता है और इस भंवर से जिस को सबसे ज्यादा हानि होती है वह है मानव मन ,कभी भूत का पछतावा कभी भविष्य की चिंता इसी भूत और भविष्य की उलझनों में उलझ कर वह वर्तमान का आनंद नहीं ले पाता !

सपनों का पूरा न होना (There is no fulfillment of dreams)

जीवन में व्यक्ति कई सपने देखता है कभी बलवान होने का ,कभी धनवान होने का और अपने साधनों पर विचार किए बिना जुट जाता है अपने सपनों को उड़ान देने में ,अगर इसी जल्दबाजी में वह शायद भूल जाता है कि उड़ने के लिए पंखों की जरूरत होती है साधनों की कमी उसके पंखों को परवाज़ नहीं दे पाती और वह औंधे मुंह जमीन पर आ गिरता है !

चुप्पी साध लेता है (Silence takes place)

एक तो वह अपने अधूरे सपनो के कारण खुद अंदर ही अंदर टूट कर बिखर जाता है और ऊपर से लोगों की बातों से उसका अस्तित्व ही संकट में आ जाता है तब ऐसे में एक टूटा हुआ व्यक्ति लोगों को जवाब देने के बजाय चुप्पी साध लेता है और उसकी यही चुप्पी उसके तनाव का कारण बनती है !

नकारात्मक सोच (Negative thought)

उसे लगने लगता है कि मेरे सपनों को पूरा करने के प्रयासों में किसी ने मेरा साथ नहीं दिया लेकिन मेरे असफल होने पर सब मुझसे प्रश्न पूछ कर मेरा उपहास बना रहे हैं मुझे पीड़ा देने के लिए जानबूझकर प्रश्न पूछे जा रहे हैं !

लोगों का व्यवहार (people’s behavior)

इस असफल व्यक्ति को इसके व्यवहार के कारण लोग चिड़चिड़ा समझने लगते हैं ऐसे में धीरे-धीरे करके लोग उससे किनारा करना शुरू कर देते हैं और धीरे-धीरे करके एक दिन ऐसा आता है जब लोग उसे इसी अकेलेपन के कारण पागलों की श्रेणी में रख देते हैं !

तनाव के आधुनिक कारण

Modern causes of stress

यह थे तनाव के कुछ परंपरागत कारण अब हम बात करेंगे तनाव के कुछ आधुनिक कारणों की जिनमें से कुछ तो आकरण ही होते हैं अर्थात बिना किसी कारण का तनाव !कभी समाज में स्टेटस मेंटेन करने का तनाव , कभी मान -सम्मान और प्रतिष्ठा पाने का तनाव मगर अपने लुक्स को लेकर तनाव ,अपनी हाइट को लेकर तनाव यह किस प्रकार का तनाव है ? तनाव किसी ना किसी रूप में उम्र के हर पायदान पर देखा जा सकता है -एक आम आदमी से लेकर खास तक कोई भी इससे अछूता नहीं है !

बच्चों में तनाव (stress in children)

बच्चों को पढ़ाई लिखाई का ,माता पिता के समय ना देने का ,उनकी ज़रूरतों और उनकी बात ना समझने का तनाव है !

लड़कियों में तनाव के कारण (Causes of stress in girls)

अधिकतर लड़कियों में रोक-टोक का तनाव कार्य व्यवहार का तनाव मेलजोल का तनाव देखने को मिलता है !कहां जाएं कहां ना जाएं , क्या करें क्या ना करें , किस्से मिले किससे ना मिले और तो और छोड़ो पिंपल का तनाव , पिगमेंटेशन का तनाव ,हेयर स्टाइल का तनाव ,सुंदर दिखने का तनाव, ब्रांडेड सामान (branded accessories)का तनाव ,ड्रेसिंग सेंस का तनाव ,यह ड्रेस तो मैंने पिछली पार्टी में पहना था तो मैं ये अब कैसे पहन सकती हूं – कोई ड्रेस रिपीट न हो इसका तनाव ,लड़कियों में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण तनाव और भी है और वह है ईष्र्या से उत्पन्न तनाव !

लड़कों में तनाव के कारण ( Causes of stress in boys)

घर परिवार का तनाव ,स्टेटस का तनाव ,जॉब का तनाव ,पदोन्नति का तनाव ,किसी की सामाजिक स्थिति को देखकर उत्पन्न तनाव , पहले के समय में तो केवल लडकियां ही सौंदर्य के प्रति जागरूक (Beauty conscious) हुआ करती थी पर अब तो सुन्दर दिखने की होड़ में लड़के भी किसी से पीछे नहीं रहे लड़कियों की ही भांति अब तो लड़को पर भी ब्यूटी एक्सेसरीज का जादू सर चढ़ कर बोलता है व साथ ही लड़कों को न सुनने की आदत नहीं होती अतः किसी के प्रपोजल रिजेक्ट करने का तनाव !

आयु के अंतराल से उत्पन्न सार्वभोमिक तनाव (Universal stress by age difference)

बड़े -बुजुर्गों को अपनी अगली पीढ़ी के व्यवहार का टेंशन ,मूल्यों में गिरावट का टेंशन तभी तो वह हमेशा कहते पाए जाते हैं कि हमारे समय में तो ऐसा नहीं हुआ करता था और नई पीढ़ी के लोगों को लगता है कि यह समय के साथ बदलना नहीं चाहते दोनों एक दूसरे को अपने अनुभवों की कसौटी पर कसने का प्रयास करते हैं और अंततः दोनों असफल हो जाते हैं दोनों एक दूसरे के विचारों का विरोध आरंभ कर देते हैं और यह सब आयु अंतराल अर्थात जनरेशन गैप के कारण होता है जहां दोनों पीढ़ियां अपनी सोच को सही मानती हैं और दोनों में वैचारिक मतभेद की स्थिति बन जाती है !

चिंता तो इन विषयों की की जानी चाहिए :-

Worries should be made of the following topics

इन छोटी-छोटी बेबुनियाद बातों की चिंता यह भी कोई करने की चीज है अगर चिंता करनी ही है तो बड़ी-बड़ी बातों की चिंता की जानी चाहिए जैसे प्राकृतिक वातावरण , असाध्य ,रोग नैतिक मूल्यों में गिरावट ,धार्मिक असहिष्णुता ,संप्रदायवाद, जाति प्रथा और विकास के नाम पर होने वाली हानि से समस्त मानव जाती को होने वाला तनाव आदि मगर यह भी सही है कि हम जैसे आम लोग इन विषयों पर चिंता क्यों करने लगे यह विषय प्रत्यक्ष रूप से हम से संबंधित हैं भी तो नहीं ,कितना हास्यास्पद लगता है ना ?जब कोई कहता है कि यह विषय हम से संबंधित ही नहीं है तो फिर उसकी चिंता कैसी परंतु यह भी सत्य है कि जब आप बड़े-बड़े विषयों की चिंता करने लगेंगे तो छोटी-छोटी बातों से आपको कभी चिंता होगी ही नहीं अगर आपको विश्वास न हो तो एक बार ऐसा करके ज़रूर देखियेगा !

पिछले ब्लॉग में हमने चिंता के विषय पर बात की थी और यह ब्लॉग चिंता के कारणों पर आधारित है अगले ब्लॉग में हम चिंता के निवारण या उपायों पर चर्चा करेंगे , तब तक हँसते रहिये -हसाँते रहिये जीवन अनमोल है मुस्कुराते रहिये !

धन्यवाद

🙏🙏🙏

37 विचार ““क्या भूत का पछतावा और भविष्य की चिंता वर्तमान से अधिक महत्वपूर्ण है ?”&rdquo पर;

  1. Bonjour mon amie ,ami
    IL EST :
    Libre de penser, de rire et d’aimer
    IL FAUT :
    Profiter des secondes de bonheur
    IL FAUT:
    Savoir dire non, oser et choisir
    IL SUFFIT
    de si peu de chose, d’avoir
    d’un peu de courage si j’ose
    On SAIT que
    La vie n’est pas toujours facile,
    Mais il suffit de redresser la tête,
    D’affronter certaines adversités,
    Avec beaucoup de sincérité
    Belle journée bonne semaine à venir Bernard BISOUS

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  2. बहुत ही अच्छा लगा ये ब्लॉग पढ़कर वाकई समझ आया चिंता के विषय क्या है, क्योंकि लोग इन विषयों को नहीं जानते और छोटी छोटी चिंताओं में फंसे रहते हैं , अगर वो अपनी मैं से बाहर निकलकर हम की चिंता करें तो जीवन को अच्छी तरह की सकते हैं।

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