motivation, personality development, solution of a problem

“अस्थायी भावनायें -खाली में आडम्बर ज़्यादा !”

भावनायें ही व्यक्ति को मनुष्य बनती हैं

यह भावनाएं ही है जो व्यक्ति को मनुष्य बनाती हैं सुख-दुख त्याग ,तृष्णा ,करुणा यही भाव तो है जो व्यक्ति को एक दूसरे से जुड़े रखते हैं कभी हर्षोल्लास से सबके जीवन में खुशियां भर देते हैं तो कभी त्याग बलिदान से महान बना देते हैं !

हर भावनात्मक प्रश्न का उत्तर

भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न भावनाओं से संचालित मन केवल कोई मांस का लोथड़ा मात्र नहीं है यह हर भावनात्मक प्रश्न का उत्तर है ,यह एक ही समय में मन में गोते मारने वाली विभिन्न भावनाओं का जन्म स्थान और उनको दुलारने वाला भी यही है !

संपूर्ण जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है

कुछ भावनाएं स्थाई होती हैं तो कुछ अस्थाई इस सम्बन्ध में एक कहावत अत्यधिक प्रसिद्ध है ‘खाली में आडंबर ज्यादा ‘यही कारण है कि अस्थाई भावनाएं अत्यधिक शोर मचाती हैं यहां तक की व्यक्ति का जीवन ही अस्त-व्यस्त हो जाता है !

यही कारण है कि व्यक्ति का व्यवहार निरंतर बदलता रहता है इस बदलते व्यवहार के साथ व्यक्ति का मान सम्मान और प्रतिष्ठा भी प्रभावित होती रहती है !

भावनाओं की सकारात्मकता

यधपि भावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता अपितु आवशयकता है तो भावनाओं को स्थायित्व देने की क्यूंकि सकरात्मदक स्थाई भावनाएँ आपके कार्य -व्यापार और निजी संबंधों के स्थायित्व की गॅरंटी हैं !

एक सामान्य प्रश्न

यदि व्यक्ति इतने बड़े बड़े परिवर्तन ला सकता है तो क्या अपनी भावनाओं को संतुलित कर अपने व्यवहार को नियंत्रित नहीं कर सकता !

हम सभी के मन में कभी ना कभी यह प्रश्न उठता जरूर है और यही कारण है कि दशकों से व्यवहारवादी मानवीय व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए कई सिद्धांत बनाने में लगे हुए हैं कई सिद्धांत बनाए भी जा चुके हैं और उनसे काफी सफलता भी प्राप्त हुई है परंतु यह सिद्धांत केवल कार्य व्यवहार तक ही सीमित हैं !

व्यक्ति कुछ और होने से पहले केवल एक मनुष्य है

मानव व्यवहार वादी ‘ हर्बर्ट साइमन व मेरी पारकर फॉलेट ‘ने इस क्षेत्र में जमकर कार्य किया यहां तक कि मानवीय व्यवहार को विज्ञान का रूप देने का प्रयास भी किया गया परंतु वास्तविकता यह है कि मानव भावनाओं से संचालित होता है और भावनाएं निरंतर बदलती रहती हैं अतः परिवर्तित स्थिति को स्थाई कैसे किया जा सकता है ,यही कारण है कि दशकों के प्रयासों के बाद भी मानव व्यवहार के स्थायित्व संबंधी कोई विज्ञान विकसित नहीं किया जा सका है और वो इसलिए क्योंकि व्यक्ति कुछ और होने से पहले एक मनुष्य है तभी तो व्यक्ति जो महसूस करता है वह बोल देता है ,जो सोचता है वह कह देता है और जो चाहता है वह पा लेता है या कर लेता है !

स्वतः विकसित भावनात्मक सामाजिक सिद्धांत

भले ही मानवीय व्यवहार के संबंध में पूर्णता विज्ञान विकसित करने में हम असफल रहे हो परंतु सामाजिक आधार पर कुछ सिद्धांत स्वत: ही निर्मित हो गए हैं जैसे ‘आप जो बोयेंगे -वही काटेंगे ‘तात्पर्य यह हुआ कि अच्छा करेंगे तो अच्छा पाएंगे और बुरा करेंगे तो बुरा ,यही कारण है कि अच्छा करने वाले व्यक्ति के चेहरे पर आभा और आत्मविश्वास स्पष्ट देखा जा सकता है !

चिंता रहित जीवन

सामाजिक तनाव और चिंता रहित व्यक्ति जो अत्यधिक संतुष्ट दिखाई देता है खुले मन से लोगों का स्वागत करता है और होठों पर सदैव मुस्कुराहट खिली रहती है रहती है ,एक कभी न समाप्त होने वाला आत्मविश्वास इन्हे जीवन के प्रति उत्साही बनाता है ,ऐसे व्यक्ति विभिन्न व्यक्तियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाते हैं कोमल मन, विनम्र स्वभाव और सबको साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति ही उनकी पहचान बन जाती है !

इस ब्लॉग में हम बात कर रहे थे कि व्यक्ति का व्यवहार भावनाओं से किस प्रकार संचालित होता है और वह भावात्मक आधार पर क्या प्राप्त कर सकता है अगले ब्लॉक में हम बात करेंगे व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित करना क्यों आवश्यक है तब तक के लिए हँसते -रहिये हँसाते -रहिये जीवन अनमोल है मुस्कुराते रहिये !

धन्यवाद
🙏🙏🙏

19 विचार ““अस्थायी भावनायें -खाली में आडम्बर ज़्यादा !”&rdquo पर;

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