प्राणों की आहुति का उद्देश्य
एक सच्चा देश भक्त अपने देश की रक्षा के लिए हंसते – हंसतेअपने प्राणों की आहुति दे देता है अपने प्राण न्योछावर करते हुए भी उसका सर गर्व से उठा रहता है !वह देश की रक्षा के नाम पर अपने प्राणों की आहुति इसलिए देता है ताकि उसका देश गौरवान्वित अनुभव कर सके ,आने वाली पीढ़ियां अपने देश पर गर्व कर सकें ,देश के नागरिक स्वयं को सुरक्षित अनुभव कर चैन की साँस ले सकें और उसका देश तीव्र गति से चहुमुखी विकास कर सकें!
जो स्वयं मरकर भी देश का सर गर्व से ऊँचा कर जाता है
हथियार डालकर अपने प्राणों की रक्षा का विकल्प तो सदैव एक सैनिक के सामने विद्यमान रहता है मगर वह स्वीकार करता है अपने प्राणों का बलिदान देना ,समर्पण कर के पीठ दिखा कर देश को धोखा देने से अच्छा है जय हिंद के नारे के साथ सीने पे गोली खाकर अमर शहीदों में अपना नाम अंकित करा ले !वह स्वयं मर कर भी अपने देश को ज़िंदा रखता है !
संघर्ष का उद्देश्य
फौज में भर्ती होने वाला कोई सैनिक नहीं जानता कि वह अब अपने घर परिवार में वापस लौट भी पाएगा अथवा नहीं हर पल हर एक क्षण उसके लिए संघर्ष का क्षण होता है उसका यह संघर्ष देश के लिए होने के साथ-साथ स्वयं अपनी आती जाती हर श्वास के साथ की कहीं ये उसकी आख़री श्वांस तो नहीं ,अपने घर परिवार के लिए जीवित वापस लौटने का संघर्ष ,शत्रु के नापाक इरादों को नाकाम करने का संघर्ष , आने वाली पीढ़ी को एक खुशहाल देश सौंपने का संघर्ष !
क्या हम उनकी अभिप्रेरणा का स्रोत नहीं बन सकते ?
हमारे देश का सैनिक स्वयं के संघर्ष पर गौरवान्वित तब होता है जब वह अपने देश को विकसित होते हुए देखता है !आर्थिक विकास ,सामाजिक सद्भाव ,विविधता में एकता की संस्कृति उसे और अधिक उत्साहित करती है वह इस सब से प्रेरणा पाकर सीमा पर निरंतर डटा रहता है अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा करने के लिए तत्पर रहता है ! न की इसलिए की देश में सामाजिक एवं आर्थिक बिखराव हो !
सैन्य सुरक्षा का उदेश्य असुरक्षा तो कदापि नहीं हो सकता !
क्या हमारे देश का सैनिक अपने प्राणों की आहुति इसलिए देता है कि देश में आंतरिक कलह आगज़नी ,दंगों की स्थिति बने ?क्या हमारे देश का सैनिक अपने प्राणों की आहुति इसलिए देता है कि राजनीतिक प्रपंच के चलते समाज में जात -पात का खेल चलता रहे ?क्या हमारे देश का सैनिक अपने प्राणों की आहुति इसलिए देता है कि आर्थिक संसाधनों को दंगों की आग में झोक दिया जाये ?क्या हमारे देश का सैनिक अपने प्राणों की आहुति इसलिए देता है की मोबलिंचिंग की जाए व्यक्ति समूह द्वारा एक निहत्थे व्यक्ति को मारा जाए ?क्या हमारे देश का सैनिक अपने प्राणों की आहुति इसलिए देता है कि अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा की भावना जागृत हो ?क्या हमारे देश का सैनिक अपने प्राणों की आहुति इसलिए देता है कि असुरक्षा की भावना से संपूर्ण समाज अस्त-व्यस्त हो जाए ?
जहां राष्ट्र की सुरक्षा ही खतरे में हो वहाँ अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा का क्या लाभ ?
एक सैनिक की दृष्टि से नालत है ऐसे सैनिक होने पर जहां जनसाधारण ही स्वयं को असुरक्षित अनुभव करते हो ऐसे देश की अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा का क्या लाभ जिस देश की राष्ट्रीय सुरक्षा ही असुरक्षित हो ?देश की सुरक्षा का मूल्य केवल वह सैनिक ही जान सकता है जो देश की रक्षा के लिए अपनी जान तक की बाजी लगा देता है !
और भी हैं गम ज़माने में मोहब्बत के सिवा
यह एक साधारण प्रश्न नहीं हमारी मानवता पर आघात है यदि विचार करेंगे तो यथ आपकी अंतरात्मा को अवश्य कटोचेगा ! “पहले ही दुश्मनों की क्या कमी थी के दोस्तों को भी दुश्मन बनाने चले हैं !”गहन विचार कीजिये वास्तविक समस्या की खोज कर समस्या का निदान ढूंढिए “और भी है गम जमाने में मोहब्बत के सिवा “आतंकवाद ,उग्रवाद ,क्षेत्रवाद, कट्टरवाद ,अशिक्षा, बेरोजगारी , स्वस्थ्य ,सामुदायिक विकास …………आदि !
वास्तविक समस्याओं पर विचार कीजिए उनका हल ढूंढिए अगले ब्लॉग में फिर मुलाकात होगी तब तक के लिए हंसते रहिए -हंसाते रहिए ,जीवन अनमोल है मुस्कुराते रहिए !
धन्यवाद
🙏🙏🙏
very interesting
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Thank you Denise for reading my post !
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WE DONT USE TO FOLLOW PEOPLE WHO DOSNT VOTE US !!!
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समय अनुसार पोस्ट को पढ़ते हैं
भूल चूक लेनी देनी …?
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जी ………………??
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जबतक हम में से कोई भी इंसान खुद को श्रेष्ठ और शेष को नाली का कीड़ा समझता रहेगा।
जंग चलता रहेगा।आज आतंकवाद धीरे धीरे धार्मिक युद्ध का रूप लेते जा रहा है जिसके कारण विरोधी तेवर भी बढ़ता जा रहा है। दोनों ही स्थिति में कोई भी मिटे बहुत दर्द होता है।
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बिलकुल हम हिन्दू , मुसलमान ,……….. कुछ भी होने से पहले केवल इंसान हैं !श्रेष्टता का झूठा दम्भ हमें एक दुसरे की नज़रों में गिराने के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर भी हमारी छबी को कमज़ोर कर रहा है !कितनी शर्म की बात है की आज दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अपनी छोटी -मोटी समस्याओं को सुलझाने में स्वयं को असमर्थ अनुभव कर रहा है !आप -हम जैसे लोग देश के शुभचिन्तक हैं जो आने वाली स्थिति से भयभीत हो रहे हैं !आप -हम जैसे लोगों से कोई समस्या नहीं है और जिनसे समस्या है वह समझना नहीं चाहते !
चोट किसी को भी पहुंचे हानि केवल मनुष्य की ही है !
आज आतंकवाद की नहीं मानववाद की आवशयकता है !बड़े दुःख की बात है की कुछ नासमझ लोग देश को गृह युद्ध की और धकेल रहे हैं !ईश्वर सद्बुद्धि दे !
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बिल्कुल सही कहा। गृहयुद्ध देश को टुकड़ों में विभक्त कर देगा जिस पर गिद्ध दृष्टि लगाए बाहरी लोग आस में बैठे हैं। फिर ना शांति से कोई नमाज पढ़ पायेगा और ना ही कोई पूजा।
जंग उस दिन भी होते थे जब धर्म नही था मगर कारण कुछ और था। भुगतना कल भी इंसान को पड़ा था और आगे भी इंसान ही तड़पेंगे।
जब जब पाप चरम पर पहुंचता है कोई न कोई शक्ति आती है उसका नाश करने इतिहास गवाह है।मगर हम पाप करने से नहीं हिचकते।
दुख है सोच देखकर लोगों की। कितनी सतरंगी है ये देश पता नही अब कौन सा रंग सियासत को पसन्द है। मुद्दे सभी जिंदा है पता सियासत को इसे खत्म करने का कौन सा दिन पसन्द है। या जिंदा ही रखना है।
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आपकी इस टिप्पणी पर मेरे विचार भूल से नीचे पोस्ट हो गये है !कृपया धनंजय जी के नीचे वाले कमेंट में देख सकते हैं !
असुविधा के लिए खेद है !धन्यवाद !
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Thank you
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My plessure !
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😀😀
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सबसे पहले सभी मनुष्य तो बन जाय प्राणोत्सर्ग होते रहेंगे। क्यों कुछ तो धर्म के चक्कर में आज भी मानव बनने की प्रक्रिया से दूर खड़े है।
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बिलकुल !मनुष्य बनने पर ही मूल्यों का समावेश संभव है ! धर्म का गलत prediction ,समाज का रवैया आसहनशीलता और सीमित सोच ……….ये कुछ कारक :मानव होने की राह में रोड़ा बनते हैं !
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बिलकुल सही कहा आपने !शांति छिनती जा रही है ! असंतोष बढ़ता जा रहा है अविश्वास का माहौल बनता जा रहा है ये सब असहनशीलता का परिणाम है !गृह युद्ध से देश टुकड़ों में विभक्त हो या गिद्ध देश पर दृष्टि लगाए बैठे हों इससे आमजन को क्या जिसने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया स्वतंत्रता का मूल्य कोई उनसे पूछे विरासत में मिली वास्तु का केवल दम्भ होता है सम्मान नहीं !
बिलकुल यह तो ईश्वर का न्याय है !परन्तु पाप का नाश तब संभव हो सकता है जब पाप को पाप समझा जाये, और ये तब संभव है जब व्यजति की अंतरात्मा जीवित हो !
पार्टी चाहे जो भी हो सियासत का आरंभ उसके एजेंडा से ही होता है और जिन मुद्दों के आधार पर सरकार को चुना जाता है वही उसके लिए वही मुद्दे निम्न स्तर के बन जाते हैं और वह मुद्दे प्राथमिक हो जाते हैं जो निराधार हों !राजनीति खेली मुद्दों का है जिस दिन मुद्दे समाप्त हो जायेंगे उस दिन राजनीति ही समाप्त हो जाएगी !
😞😞😞😞😞😞😞
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Very inspiring post.Thank you for sharing.
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Thanks a lot for ……My pleasure!
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Most welcome
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My pleasure 🙏🙏🙏
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🙂 The translation is a little wonky, but it sounds like you’re writing about hope and justice. Good things!!
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Thank you for your kind words And your appreciation !!!😊😊😊!!!
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